अकबरनगर/भागलपुर
नगर पंचायत अकबरनगर के छीट श्रीरामपुर कोठी में स्थित माँ बमकाली की एक अलग ही पहचान है।प्रतिमा स्थापना के बाद 24 घंटे के अंदर प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। 24 घंटे से अगर पाँच मिनट भी देर हो जाए तो किसी अनहोनी की आशंका रहती है। जिस वजह से निर्धारित समय के अंदर ही मां की प्रतिमा का विसर्जन शोभा यात्रा निकाला जाता है।मां बम काली की मान्यता है कि जो भी भक्त मां के दरबार में मन्नत लेकर आते हैं। सभी की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। माता रानी के दरबार से कोई भक्त बिना आशीर्वाद लिए नहीं जाता है। मां बमकाली के आशीर्वाद से मनोकामनाएं पूरी होने पर भक्त खुशी से बलि देने आते हैं।
दीपावली के दिन दीप जलाने के बाद किया जाता है माँ की प्रतिमा स्थापित
मां बमकाली की भव्य प्रतिमा का निर्माण किया जाता है। काली पूजा को लेकर यहां एक माह से तैयारी की जाती है।यहां की पुरानी परम्परा है कि दीपावली पूजा के दिन दीप जलाने के बाद ग्रामीण एकजुट होकर मां काली की प्रतिमा का प्राण-प्रतिष्ठा कर स्थापित करते हैं।मां बमकाली की पूजा को लेकर मेला का आयोजन होता है। मेला देखने दूर-दराज के श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं।अकबरनगर में अन्य दो और जगहों पर प्रतिमा स्थापित की जाती है।लेकिन आसपास के इलाकों में ऐसी प्रतिमा का निर्माण नहीं होता है।माँ बमकाली की प्रतिमा का भव्य रूप रहता है।मां काली में आस्था रहने के कारण यहां भव्य तरीक़े से मेले का आयोजन किया जाता है और मेला में लाखों रुपये खर्च होता है।
92 साल पुराना है माँ बमकाली का मंदिर
यह मंदिर छीट श्रीरामपुर कोठी में अकबरनगर भागलपुर मुख्य मार्ग किनारे एनएच 80 पर स्थित है। यहां का मंदिर 92 साल पुराना है।बड़े बुजुर्गों का मानना है कि पहले माँ की प्रतिमा दियारा क्षेत्र में स्थापित की जाती थी।कहना है कि हम लोगों का पूर्वज श्रीरामपुर दियारा में बसे थे लेकिन जमीन गंगा में समाहित हो जाने के बाद यहां बसे हैं।लेकिन किसी को पता नहीं है कि बम काली की प्रतिमा कब से स्थापित की जाती है।उनका कहना है कि भक्तों को एक दिन सपना आने के बाद वर्ष 1930 में मां काली के मंदिर का निर्माण लोगों के सहयोग से कराया गया है।